April 15, 2010

Nayak

विद्रोह भरा इस मन मैं क्यों
दुनिया से लड़ने को आतुर क्यों
विश्व धरा संघर्ष क्षेत्र
संघर्ष से आखिर डरते क्यों

रीति रिवाज पुराने सदियों
समय की धारा स्थिर क्यों
जीवन का सत्य बदलना हैं
फिर परिवर्तन से डरते क्यों

भय बसेरा किये जो मन मैं
दिल की आवाज सुनते क्यों
ब्रहमांड रीत बस हैं चलना
अनिश्चितता से डरते क्यों

आराम शब्द मैं राम छुपा
आराम का ये गुडगान हैं क्यों
द्रण मेहनत का परिणाम सफलता
मेहनत से फिर ये डरते क्यों

उठो रे मानव बाहर निकलो
इस कायरता को त्यागो ना क्यों
संघर्ष करो दुनिया बदलो
कुछ खोने से तुम डरते क्यों

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